
कोरोना से जंग: दो गज की दूरी और मास्क क्यों है जरूरी… IIT भुवनेश्वर ने स्टडी में बताया सबकुछ
हाइलाइट्स:
- कोरोना वायरस महामारी में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की कही जा रही बात
- आईआईटी भुवनेश्वर ने किया अध्ययन, पाया कोरोना से बचना है तो मास्क पहनना जरूरी है
- मास्क और दो गज दूरी लोगों को कोरोना वायरस से ऐसे बचा सकती है
- छींक के दौरान पानी की सूक्ष्म बूंदे 25 फुट दूर तक जाती हैं, मास्क से डिस्टेंस होती है कम
आईआईटी-भुवनेश्वर ने एक स्टडी की है। इस स्टडी में यह साबित हुआ है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने में दो गज की दूरी जरूरी है। अध्ययन में पाया है कि मास्क जैसी एहतियात के बिना छींक के दौरान निकली पानी की छोटी-छोटी बूंदें 25 फुट की दूरी तक जा सकती हैं, यहां तक कि बेहद सूक्ष्म कण मास्क से भी बाहर निकल सकते हैं। मास्क और फेस-शील्ड जैसे उपकरण प्रभावी तरीके से ऐसे लीकेज को कम करते हैं और छींक के प्रभाव को एक से तीन फुट के बीच सीमित कर सकते हैं।
बेहद सूक्ष्म कणों के लीकेज को नहीं रोक सकते। इसलिए दो गज की दूरी के नियम का पालन महत्वपूर्ण है। आईआईटी भुवनेश्वर द्वारा जारी बयान के अनुसार, अध्ययन में कहा गया है कि मास्क और फेस-शील्ड लगाने के बावजूद छींकने के वक्त नाक को हाथ यह कोहनी से ढंकें ताकि अति सूक्ष्म बूंदें लीक होने से बचें।
25 फुट दूर तक जा सकती हैं छींक की बूंदे
अध्ययन में छींक के दौरान मानक और गैर-मानक मास्कों के प्रभाव को परखा गया है। स्कूल ऑफ मकैनिकल साइंस के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर वेणुगोपाल अरुमुरु और उनकी टीम द्वारा किए गए इस अध्ययन से इसकी पुष्टि होती है कि एहतियाती उपकरणों जैसे मास्क आदि के बगैर छींक के दौरान निकली छोटी-छोटी बूंदें सामान्य वातावरण में 25 फुट की दूरी तक जा सकती हैं।
आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रफेसर आरवी राजा कुमार ने कहा कि संस्था के संकाय सदस्य और छात्र कोविड-19 महामारी के दौरान अथक परिश्रम कर रहे हैं और नई तकनीक विकसित करने के अलावा संबंधित मुद्दों पर अध्ययन भी कर रहे हैं।
यहां छपा आर्टिकल
निदेशक ने कहा कि यह अध्ययन दिखाता है कि कैसे एहतियाती उपकरणों से ये सूक्ष्म कण लीक हो सकते हैं। इस अध्ययन में दो गज की दूरी का महत्व स्पष्ट है। अध्ययन को अमेरिकन फिजिक्स सोसायटी ने ‘फिजिक्स ऑफ फ्यूइड’ पत्रिका में ‘फीचर्ड आर्टिकल’ के रूप में चुना है।