
जूनियर से रेप के आरोपी वकील को हाई कोर्ट ने दी थी जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जूनियर से बलात्कार के आरोपी वकील को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत दिए जाने पर हैरानी जताई है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने तीन सितंबर को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील शैलेन्द्र सिंह चौहान को बलात्कार के मामले में इस आधार पर अंतरिम जमानत दे दी थी कि वह 29 साल से वकालत कर रहे हैं। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की बेंच ने उच्च न्यायालय का आदेश रद्द कर दिया।
वकील को जमानत देने से नाराज सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय ने शिकायतकर्ता के वकील की अपील पर यह आदेश दिया। शिकायतकर्ता ने वकील उत्कर्ष सिंह के जरिए यह अपील दायर की थी। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद आरोपी वकील ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था जो 19 अगस्त को खारिज हो गया था। उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश सी डी सिंह ने बलात्कार के इस मामले में आरोपी अधिवक्ता को अंतरिम जमानत दी थी, जिससे शीर्ष अदालत नाराज हो गई।
हाई कोर्ट ने दिया था आदेश, वकील को गिरफ्तार न करे पुलिस
उच्च न्यायालय ने यूपी पुलिस को 31 जुलाई को निर्देश दिया था कि चौहान को गिरफ्तार नहीं किया जाए। इस मामले में शिकायतकर्ता 24 वर्षीय जूनियर वकील ने लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र के विभूति खंड थाने में 24 जुलाई को चौहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उसी दिन चौहान ने अपने चैंबर में उसके साथ बलात्कार किया हे। चौहान आईपीसी की धारा 328 (अपराध करने की मंशा से नशीला पदार्थ खिलाना), धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न) और धारा 376 (बलात्कार) के आरोपी हैं।