
Farmers Protest Updates : नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानेगी सरकार, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के बयान से मिले संकेत
नई दिल्ली
एक तरफ किसान तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी के सवाल पर सरकार से ‘हां’ या ‘ना’ में जवाब चाहते हैं और वो इससे कम पर आंदोलन खत्म करने को बिल्कुल भी राजी नहीं हैं तो दूसरी तरफ सरकार बीच का रास्ता निकालने का ऑफर दे रही है। सरकार की मंशा नए कानूनों को वापस लेने की तो नहीं ही दिख रही है। इसकी पुष्टि रविवार को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के एक बयान से भी होती है। उन्होंने साफ कहा कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री का साफ संकेत
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो तीनों कानून लाए हैं, वो किसानों के हित में हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की मांग के अनुसार इन कानूनों में कुछ संशोधन कर देगी। उन्होंने कहा, ‘ये कानून किसानों को आजादी देंगे। हमने हमेशा कहा कि किसानों को अपनी मर्जी से फसल बेचने का अधिकार होना चाहिए। स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट में भी यही सिफारिश की गई है। मुझे नहीं लगता है कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। अगर जरूरत पड़ी तो इनमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं ताकि आंदोलनकारी किसानों को मनाया जा सके।’
किसानों की मांगों के आगे नरम पड़ी सरकार
ध्यान रहे कि किसान संगठनों से कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद केंद्र सरकार थोड़ी नरम पड़ी है। चौधरी ने कहा कि सरकार लिखित में दे सकती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रखा जाएगा। हालांकि चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में किसान आंदोलन को डिसक्रेडिट करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये असली किसान हैं। चौधरी ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि असली किसान, जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं।
राजनीति के चक्कर में न फंसें किसान: केंद्र
चौधरी ने कहा, “मुझे लगता है (राज्यों में) कांग्रेस सरकार और विपक्ष किसानों को भड़का रहे हैं। देश के किसान इन कानूनों के साथ हैं लेकिन कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश में हैं। मुझे पीएम (नरेंद्र) मोदी के नेतृत्व और किसानों पर भूरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि किसान कोई ऐसा फैसला नहीं करेंगे जिससे देश में कहीं भी अशांति हो। इन कानूनों से उन्हें आजादी मिली है। मुझे नहीं लगता कि जो असली किसान हैं, अपने खेतों में काम कर रहे हैं, इससे परेशान हैं।”
एक तरफ किसान तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी के सवाल पर सरकार से ‘हां’ या ‘ना’ में जवाब चाहते हैं और वो इससे कम पर आंदोलन खत्म करने को बिल्कुल भी राजी नहीं हैं तो दूसरी तरफ सरकार बीच का रास्ता निकालने का ऑफर दे रही है। सरकार की मंशा नए कानूनों को वापस लेने की तो नहीं ही दिख रही है। इसकी पुष्टि रविवार को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के एक बयान से भी होती है। उन्होंने साफ कहा कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री का साफ संकेत
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो तीनों कानून लाए हैं, वो किसानों के हित में हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की मांग के अनुसार इन कानूनों में कुछ संशोधन कर देगी। उन्होंने कहा, ‘ये कानून किसानों को आजादी देंगे। हमने हमेशा कहा कि किसानों को अपनी मर्जी से फसल बेचने का अधिकार होना चाहिए। स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट में भी यही सिफारिश की गई है। मुझे नहीं लगता है कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। अगर जरूरत पड़ी तो इनमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं ताकि आंदोलनकारी किसानों को मनाया जा सके।’
किसानों की मांगों के आगे नरम पड़ी सरकार
ध्यान रहे कि किसान संगठनों से कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद केंद्र सरकार थोड़ी नरम पड़ी है। चौधरी ने कहा कि सरकार लिखित में दे सकती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रखा जाएगा। हालांकि चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में किसान आंदोलन को डिसक्रेडिट करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये असली किसान हैं। चौधरी ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि असली किसान, जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं।
राजनीति के चक्कर में न फंसें किसान: केंद्र
चौधरी ने कहा, “मुझे लगता है (राज्यों में) कांग्रेस सरकार और विपक्ष किसानों को भड़का रहे हैं। देश के किसान इन कानूनों के साथ हैं लेकिन कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश में हैं। मुझे पीएम (नरेंद्र) मोदी के नेतृत्व और किसानों पर भूरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि किसान कोई ऐसा फैसला नहीं करेंगे जिससे देश में कहीं भी अशांति हो। इन कानूनों से उन्हें आजादी मिली है। मुझे नहीं लगता कि जो असली किसान हैं, अपने खेतों में काम कर रहे हैं, इससे परेशान हैं।”
अब बाकी देश से भी उठ रहीं विरोध में आवाजें
कृषि से जुड़े तीन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन रविवार को लगातार 11वें दिन जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य हिस्सों से आए प्रदर्शकारी किसान डटे हुए हैं। किसान संगठन आगामी मंगलवार को भारत बंद को सफल बनाने में जुटे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि उनका यह आंदोलन अब सिर्फ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका स्वरूप देशव्यापी बन चुका है और इसकी तस्वीर आठ दिसंबर को भारत बंद के दौरान साफ हो जाएगी।