
UP News: PFI के चार सदस्यों से पूछताछ कर सकती है ईडी, कोर्ट से मिली मंजूरी
हाइलाइट्स:
- पीएफआई सदस्यों पर हाथरस केस के बहाने यूपी में जातीय हिंसा फैलाने की साजिश रचने का है आरोप
- प्रवर्तन निदेशालय को मथुरा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पीएफआई के 4 सदस्यों से पूछताछ की मिली मंजूरी
- चारों पीएफआई सदस्य 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मथुरा की जेल में हैं बंद
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) हाथरस गैंगरेप केस के बहाने यूपी में जातीय हिंसा फैलाने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार चार पीएफआई (PFI) सदस्यों से बुधवार को पूछताछ कर सकती है। एक दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय को मथुरा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पीएफआई के 4 सदस्यों से पूछताछ करने की मंजूरी मिल गई है। चारों पीएफआई सदस्य 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मथुरा जेल में बंद हैं।
दरअसल यूपी पुलिस ने मथुरा से चार लोगों को पकड़ा था। उसके मुताबिक ये सभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसके एक सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) से जुड़े हैं। चारों को दिल्ली से हाथरस जाते समय पकड़ा गया। इनकी पहचान मुजफ्फरनगर के अतीक-उर रहमान, मलप्पुरम के सिद्दीक, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के रूप में हुई थी। मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ साहित्य, जो शांति और व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते थे, उन्हें जब्त कर लिया गया था।
PMLA के तहत भी केस दर्ज कर सकती है ईडी
जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने पुलिस की एफआईआर पर जांच शुरू की है। वह PMLA के तहत भी केस दर्ज कर सकती है क्योंकि शुरुआती जांच में एक संदिग्ध संगठन की तरफ से हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए वित्तीय मदद देने के संकेत मिले हैं। ED विदेशी लिंक संबंधी पूछताछ करेगी। जो पैसा जुटाया, उसकी और उसके उपयोग की डीटेल्स डोमेन सर्वरों से पता लगाई जाएंगी।
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वेबसाइट के बारे में भी करेगी पूछताछ
सूत्रों के मुताबिक ईडी की ओर से सर्विस प्रोवाइडर से उस वेबसाइट के बारे में पूछताछ की जाएगी जिसने इसके पेज को होस्ट किया है। ED को पहले आईपी रेजोल्यूशन और संदिग्धों के IPDR एनालिसिसविश्लेषण के लिए CERT से ट्रैफिक एनालिसिस भी मिलेगा। ईडी डोमेन या होस्ट खरीदने के लिए इस्तेमाल में लाए ईमेल आईडी की भी जांच करेगी।
वेबसाइट की भूमिका खंगाल रही जांच एजेंसियां
जानकारी के अनुसार, जांच एजेंसियां हाथरस कांड के बहाने सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में एक वेबसाइट की भूमिका खंगाल रही हैं। आरोप है कि ‘जस्टिसफॉरहाथरस’ नाम से बनी इस वेबसाइट पर जाति-संबंधी हिंसा को भड़काने के लिए हाथरस की घटना से संबंधित फर्जी सूचनाएं दी गईं। हालांकि अब यह वेबसाइट इनऐक्टिव हो गई है। मगर जांच एजेंसियों के पास वेबसाइट का मैटीरियल मौजूद है।

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वेबसाइट बनाने में हुआ ये खेल
अधिकारियों की मानें तो www.justiceforhathrasvictim.carrd.co एड्रेस पर ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ नाम से वेबसाइट होस्ट की गई। Carrd.co दरअसल इंटरनेट की ऐसी वेबसाइट है जो दुनियाभर में सिविल राइट्स के लिए प्रदर्शन करने की जगह देती है। इस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल भीड़ जुटाने, सूचनाएं देने और फंड्स कलेक्ट करने के लिए किया जाता है। हाथरस के लिए बनी वेबसाइट को बॉट हैंडल्स के जरिए सोशल मीडिया पर फैलाने का आरोप है।